Thursday, April 9, 2009

अनबूझी पहेली














भीगी
भीगी पलकों की
दिखती - छुपती कहानी की,

लम्बे तनहा रस्ते पे
कुछ खोने की - कुछ पाने की,

इक बोझ उठाये सीने पर
बस आगे बढ़ते जाने की,

कभी बेवजह मुस्कुराने की
कभी बेवजह आंसू बहाने की,

अंत के इंतजार में
सारी उम्र बिताने की,

जो भी यहाँ कमाया
सब यहीं गवाने की,

इक अनबूझी पहेली है
ये ज़िन्दगी,

खाली हाँथ आने की,
और खाली हाँथ जाने की .......