Monday, June 1, 2009

दोस्त........









दोस्त
वो नहीं जो साथ चल रहा है तेरे,
दोस्त वो है, जिसकी दोस्ती तेरे पास हो,

दोस्त
वो नहीं जो तेरी खुशियों में शामिल रहे,
दोस्त वो है, जो तेरे गमो का साहिल रहे,

दोस्त
वो नहीं तू अपनी बात कह सके जिससे,
दोस्त वो है, जिसे तेरे दर्द का अहसास हो,

दोस्त
वो नहीं जो दे ढेरों उपहार तुझे,
दोस्त वो है, जिसके पास प्यार की सौगात हो,

दोस्त
वो नहीं जो आंसू पोछ दे तेरे,
दोस्त वो है, तेरे आंसू जिसके पास हो,

नहीं
अबतक तो नहीं मिला ऐसा दोस्त मुझे,
दुआ करो की ऐसा दोस्त मेरे पास हो ...

Monday, May 4, 2009













मेरे इस घर में रहती है,
दोस्त मेरी इक तनहाई,
तुमभी रहा करते हो यहाँ,
जाने ये क्यूं कम लगता है..

तुमसे मिला करती हूं मैं,
अक्सर अपनी बातों में,
लेकिन जब तुमसे मिलती हूं,
बेजान सा आलम होता है...

रस्ता लम्बा होता है,
या बातें कम पड़ जाती हैं,
मै जितना बोला करती हूं,
तू उतना गुमसुम होता है..

जी लेने की ख्वाहिश भी है,
जाँ देने का अरमा भी है,
जग जितना रंगी लगता है,
जग उतना सूना लगता है..

मैं अक्सर रूठा करती हूं,
तू अक्सर मनाया करता है,
दिल अक्सर टूटा करता है,
क्यू ये सब अक्सर होता है....

Thursday, April 9, 2009

अनबूझी पहेली














भीगी
भीगी पलकों की
दिखती - छुपती कहानी की,

लम्बे तनहा रस्ते पे
कुछ खोने की - कुछ पाने की,

इक बोझ उठाये सीने पर
बस आगे बढ़ते जाने की,

कभी बेवजह मुस्कुराने की
कभी बेवजह आंसू बहाने की,

अंत के इंतजार में
सारी उम्र बिताने की,

जो भी यहाँ कमाया
सब यहीं गवाने की,

इक अनबूझी पहेली है
ये ज़िन्दगी,

खाली हाँथ आने की,
और खाली हाँथ जाने की .......

Tuesday, March 31, 2009

कौन कहता है उसे जानती नहीं हूँ मै ...








कौन
कहता है
उसे जानती नहीं हूँ मै
उससे तो रोज़
मुलाकात
हुआ करती है
तुमसे तो शायद
कोई बात
छुपा ली होगी
उससे तो
दिल की
हर इक बात
हुआ करती है
कभी रूठता है वो
कभी रूठती हूँ मै
बातों बातों में
तकरार
हुआ करती है
जब किसी बात पे
उदास दिल ये होता है
उसकी
नर्म साँस
मेरे सांथ
हुआ करती है
ये अगर ख्वाब है
तो ख्वाब में ही
खुश हूँ मै
जहाँ
बस प्यार की
बरसात
हुआ
करती है
इस दुनिया की
हकीकत से
वो ख्वाब
ज्यादा प्यारा है
जहाँ
मेरे सांथ
ये सारी बात
हुआ करती
है ...

Tuesday, March 24, 2009

कुछ इस दिल ने दगा दिया....












कुछ
इस दिल ने दगा दिया,
कुछ दुनिया बेवफा मिली,
जिंदादिल होने की ये,
ज़िन्दगी से सजा मिली....

घात लगाये बैठी थी,
हर मोड़ पे कोई नाकामी,
लड़ने का जज्बा तो था,
क्यों हार हमे बेवजह मिली...

चिंगारी हर बार कोई,
जलती और जलकर बुझ जाती,
मिलने को मिली हर ख़ुशी मगर,
हर ख़ुशी हमे ग़मज़दा मिली...

मिले बहोत से लोग हमे,
कई दोस्त बने, कई रिश्ते भी,
जब मिली हमारी परछाई,
हमसे इतनी क्यों खफा मिली ...

Thursday, March 12, 2009

क्यूँ अक्सर तनहाई मे ...












क्यूँ
अक्सर तनहाई मे,
मैं
कुछ - कुछ सोचा करती हूँ ,
क्यूँ खुद से ही बातें
करके,
अक्सर
रोया करती हूँ ,
क्यूँ
खयाल के सागर मे,
मैं
खुद को डुबोया करती हूँ,
क्यूँ खुद ही
मैं ख्वाब सजाकर,
उन्हें
सँजोया करती हूँ,
खुद से करूँ जो ये सवाल,
तो
यही जवाब
मैं पाती हूँ,
शायद
तनहाई से डरकर,
सपनों
में खो जाती हूँ
सपनों में खो जाती हूँ ...

Thursday, March 5, 2009

जीवन के रंग ....












हर
सुबह लाती है,
हर एक के लिए नए रंग,
किसी के लिए ख़ुशी,
किसी के लिए गम,
किसी के लिए ज्यादा,
किसी के लिए कम,

किसी के लिए मझदार,
किसी के लिए किनारा,
किसी के लिए तन्हाई,
तो किसी के लिए सहारा,


किसी के लिए पतझड़,
किसी के लिए शावन,
किसी के लिए मौत,
और किसी के लिए जीवन,

किसी के लिए शोहरत,
किसी के लिए गुमनामी,
किसी के लिए जीत,
पर किसी के लिए नाकामी,

क्या ऐसी कोई सुबह नहीं,
जिसका एक ही रंग हो,
ख़ुशी, शावन, शोहरत, जीत,
हर एक के संग हो,

क्या ऐसी कोई सुबह नहीं,
जो माँ की थाली जैसी हो,
निकम्मा हो या कमाऊ,
दो-दो रोटी ही बटी हो....??

Wednesday, February 11, 2009

Waiting for valentine .....


शायद कहीं कोई दिल,
मेरे लिए भी धड़कता होगा,

शायद कहीं कोई तो,
मुझसे मिलाने को तड़पता होगा,




रोज ख्वाब में वो मझे देखता होगा,

और ख्वाब टूटने पे,
मुझे ढूढता रहता होगा,

छुपकर दुनिया से अपनी तनहाइयों में,
देर तक मुझसे बातें किया करता होगा,

अपनी हथेलियों में मेरी लकीर ढूढ कर,
अपनी हथेलियों को देखता रहता होगा,

हाँ बस उसी के तो इंतज़ार में खड़ी हूँ मै,
जो कही, किसी मोड़ पर,
मेरे इंतजार में खडा होगा.........

Monday, February 2, 2009

वो पल एक पल के लिए आया ....












जिस एक पल के लिए, कबसे हम पलकें बिछाये बैठे थे,

वो पल एक पल के लिए आया, और बस चला गया,

जिस एक पल के लिए
जाने क्या क्या खाब सजाये बैठे थे,
वो पल एक पल के लिए आया, और बस चला गया,

हो गए अरमान पूरे और कुछ बाकी भी रह गए,
ख़ुशी गम सबकुछ वो लाया और बस चला गया,

अब अगले पल का इंतजार है, जो रंग नए लाएगा,
उस गुजरे पल की तरह ,
जो कई रंगों में रंगा आया, और बस चला गया ...

Tuesday, January 27, 2009

परछाई सुनहरी यादों की ....










रोज
भिगो देती हैं दामन, लहरें बीती बातों की,
रोज कहीं मिल जाती है परछाई सुनहरी यादों की ....
जी में आता है दौडू और छू लू उस परछाई को,
फ़िर हस पड़ती हू कोशिश पर अपने इन पागल हाथों की ....

Friday, January 23, 2009

आजाद हिंदोस्ता...

इक सुन्दर से गुलिस्तां की कल्पना की है,
मैंने इक स्वर्ग से जहां की कल्पना की है,
जहां हर शय से प्यार बरसेगा,
उस आजाद हिंदोस्ता की कल्पना की है !!

जब बोलते थे हम...

जब बोलते थे हम तो बातें चुभती थी लोगों को,
अब बोलते नहीं हम ये बात चुभती है !!

कभी लगता है ...









कभी
लगता है बड़ी वीरां हूं,

कभी लगता है खुशगवां हूं मै,
न बेकार कोशिश करो मुझे समझने की,
मै खुद को नहीं समझ पाई के क्या हूं मै ....

Wednesday, January 21, 2009

मुलाक़ात ......










वही
आखे वही चेहरा बातों में वही नशा है

फिरभी इस मुलाक़ात में आज कुछ नया है,

यु तो की हैं हमने कई मुलाकातें,
क्यों फ़िर इस मुलाकात में झिझक पहली बार सा है,

जो समझते थे कभी हर धड़कन मेरी,
आज पूछते हैं, हाल क्या है,

उनकी मुस्कुराहट ज़िन्दगी थी हमारी,
वो अब भी मुस्कुराते हैं, ये सोचकर हम जिंदा हैं,

कभी फुर्सत मिली तो पूछेंगे ज़िन्दगी से,
गर यही ज़िन्दगी है, तो मौत भला क्या है ...

उन रासतों से जो गुजरे दोबारा....












उन
रासतों से जो गुजरे दोबारा,

तो ऐसा लगा जैसे अनजान थे हम,

बहोत ढूढना चाहा खुद को मगर,
उन रासतो पे गुमनाम थे हम,

जो छोड़ी थी यादें, जो छूटी थी बातें,
वो जैसे कहीं दफ्न सी हो गई थीं,

जो हवाओ में रहती थी खुशबु हमारी,
वो खुशबु भी जाने कहा खो गई थी,

जो बनाया था हमने कभी आशियाना,
उसी आशियाने में मेहमान थे हम,

उन रासतो से जो गुजरे दोबारा,
तो ऐसा लगा जैसे अनजान थे हम ....

हर कदम सांथ सांथ .....









क्या
है तुम्हारे पास, और क्या है मेरे पास

क्यों चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ,

शायद इक ख़ुशी की ही तो तलाश है हम दोनों को
जो मिलती है मुझे तुम्हारे पास,
और शायद तुम्हे मेरे पास,

तुम्हारी खुशियों में हसती हू मै,
हो जाते हो तुम मेरे गम में उदास,

जब कभी भी लगता है इस भीड़ में अकेली हूं,
अपने कंधे पे महसूस कराती हू तुम्हारे हाथो का अहसास,

हाँ यही तो है तुम्हारे पास, हाँ यही तो है मेरे पास,
जो चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ .....

Saturday, January 17, 2009

ज़िन्दगी अपनी है, तू अपनी है या अपनी नहीं ......

ढूती रहती हू पर कुछभी नज़र आता नहीं,
लगता
है नाता है फिर लगता है कोई नाता नहीं,
साथ देती है कभी धोखा भी देती है यही,
ज़िन्दगी
अपनी है, तू अपनी है या अपनी नहीं ......

Friday, January 16, 2009

कब्र पे रोने वाले बड़ी आसानी से मिल जाते हैं..........

एक इन्सां नही मिलता कि दोस्त कहें जिसे,
बेवफा लोग बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,

एक साया नही मिलता कि ठंडी छाव मिले,
ठिकाने तो यहाँ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,

एक हमदर्द नही मिलता दर्द बाटने को,
अदाकार यहां बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,

एक काँधा नही मिलता सर रखकर रोने को,
चार काँधे बड़ी आसानी मिल जाते हैं,

उम्रभर रोइए कोई आसु ना पोछेगा,
कब्र पे रोने वाले बड़ी आसानी से मिल जाते हैं.......