Tuesday, January 27, 2009
परछाई सुनहरी यादों की ....
रोज भिगो देती हैं दामन, लहरें बीती बातों की,
रोज कहीं मिल जाती है परछाई सुनहरी यादों की ....
जी में आता है दौडू और छू लू उस परछाई को,
फ़िर हस पड़ती हू कोशिश पर अपने इन पागल हाथों की ....
Friday, January 23, 2009
आजाद हिंदोस्ता...
इक सुन्दर से गुलिस्तां की कल्पना की है,
मैंने इक स्वर्ग से जहां की कल्पना की है,
जहां हर शय से प्यार बरसेगा,
उस आजाद हिंदोस्ता की कल्पना की है !!
मैंने इक स्वर्ग से जहां की कल्पना की है,
जहां हर शय से प्यार बरसेगा,
उस आजाद हिंदोस्ता की कल्पना की है !!
कभी लगता है ...
कभी लगता है बड़ी वीरां हूं,
कभी लगता है खुशगवां हूं मै,
न बेकार कोशिश करो मुझे समझने की,
मै खुद को नहीं समझ पाई के क्या हूं मै ....
Wednesday, January 21, 2009
मुलाक़ात ......
वही आखे वही चेहरा बातों में वही नशा है
फिरभी इस मुलाक़ात में आज कुछ नया है,
यु तो की हैं हमने कई मुलाकातें,
क्यों फ़िर इस मुलाकात में झिझक पहली बार सा है,
जो समझते थे कभी हर धड़कन मेरी,
आज पूछते हैं, हाल क्या है,
उनकी मुस्कुराहट ज़िन्दगी थी हमारी,
वो अब भी मुस्कुराते हैं, ये सोचकर हम जिंदा हैं,
कभी फुर्सत मिली तो पूछेंगे ज़िन्दगी से,
गर यही ज़िन्दगी है, तो मौत भला क्या है ...
उन रासतों से जो गुजरे दोबारा....
उन रासतों से जो गुजरे दोबारा,
तो ऐसा लगा जैसे अनजान थे हम,
बहोत ढूढना चाहा खुद को मगर,
उन रासतो पे गुमनाम थे हम,
जो छोड़ी थी यादें, जो छूटी थी बातें,
वो जैसे कहीं दफ्न सी हो गई थीं,
जो हवाओ में रहती थी खुशबु हमारी,
वो खुशबु भी जाने कहा खो गई थी,
जो बनाया था हमने कभी आशियाना,
उसी आशियाने में मेहमान थे हम,
उन रासतो से जो गुजरे दोबारा,
तो ऐसा लगा जैसे अनजान थे हम ....
हर कदम सांथ सांथ .....
क्या है तुम्हारे पास, और क्या है मेरे पास
क्यों चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ,
शायद इक ख़ुशी की ही तो तलाश है हम दोनों को
जो मिलती है मुझे तुम्हारे पास,
और शायद तुम्हे मेरे पास,
तुम्हारी खुशियों में हसती हू मै,
हो जाते हो तुम मेरे गम में उदास,
जब कभी भी लगता है इस भीड़ में अकेली हूं,
अपने कंधे पे महसूस कराती हू तुम्हारे हाथो का अहसास,
हाँ यही तो है तुम्हारे पास, हाँ यही तो है मेरे पास,
जो चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ .....
Saturday, January 17, 2009
ज़िन्दगी अपनी है, तू अपनी है या अपनी नहीं ......
ढूढती रहती हू पर कुछभी नज़र आता नहीं,
लगता है नाता है फिर लगता है कोई नाता नहीं,
साथ देती है कभी धोखा भी देती है यही,
ज़िन्दगी अपनी है, तू अपनी है या अपनी नहीं ......
लगता है नाता है फिर लगता है कोई नाता नहीं,
साथ देती है कभी धोखा भी देती है यही,
ज़िन्दगी अपनी है, तू अपनी है या अपनी नहीं ......
Friday, January 16, 2009
कब्र पे रोने वाले बड़ी आसानी से मिल जाते हैं..........
एक इन्सां नही मिलता कि दोस्त कहें जिसे,
बेवफा लोग बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,
एक साया नही मिलता कि ठंडी छाव मिले,
ठिकाने तो यहाँ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,
एक हमदर्द नही मिलता दर्द बाटने को,
अदाकार यहां बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,
एक काँधा नही मिलता सर रखकर रोने को,
चार काँधे बड़ी आसानी मिल जाते हैं,
उम्रभर रोइए कोई आसु ना पोछेगा,
कब्र पे रोने वाले बड़ी आसानी से मिल जाते हैं.......
बेवफा लोग बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,
एक साया नही मिलता कि ठंडी छाव मिले,
ठिकाने तो यहाँ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,
एक हमदर्द नही मिलता दर्द बाटने को,
अदाकार यहां बड़ी आसानी से मिल जाते हैं,
एक काँधा नही मिलता सर रखकर रोने को,
चार काँधे बड़ी आसानी मिल जाते हैं,
उम्रभर रोइए कोई आसु ना पोछेगा,
कब्र पे रोने वाले बड़ी आसानी से मिल जाते हैं.......
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