Wednesday, January 21, 2009

हर कदम सांथ सांथ .....









क्या
है तुम्हारे पास, और क्या है मेरे पास

क्यों चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ,

शायद इक ख़ुशी की ही तो तलाश है हम दोनों को
जो मिलती है मुझे तुम्हारे पास,
और शायद तुम्हे मेरे पास,

तुम्हारी खुशियों में हसती हू मै,
हो जाते हो तुम मेरे गम में उदास,

जब कभी भी लगता है इस भीड़ में अकेली हूं,
अपने कंधे पे महसूस कराती हू तुम्हारे हाथो का अहसास,

हाँ यही तो है तुम्हारे पास, हाँ यही तो है मेरे पास,
जो चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ .....

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