
मेरे इस घर में रहती है,
दोस्त मेरी इक तनहाई,
तुमभी रहा करते हो यहाँ,
जाने ये क्यूं कम लगता है..
तुमसे मिला करती हूं मैं,
अक्सर अपनी बातों में,
लेकिन जब तुमसे मिलती हूं,
बेजान सा आलम होता है...
रस्ता लम्बा होता है,
या बातें कम पड़ जाती हैं,
मै जितना बोला करती हूं,
तू उतना गुमसुम होता है..
जी लेने की ख्वाहिश भी है,
जाँ देने का अरमा भी है,
जग जितना रंगी लगता है,
जग उतना सूना लगता है..
मैं अक्सर रूठा करती हूं,
तू अक्सर मनाया करता है,
दिल अक्सर टूटा करता है,
क्यू ये सब अक्सर होता है....
खूबसूरत कविता
ReplyDeleteजी लेने की ख्वाहिश भी है,
जाँ देने का अरमा भी है,
जग जितना रंगी लगता है,
जग उतना सूना लगता है..
क्यू ये सब अक्सर होता है.... कितने सहज तरीके से गंभीर बात कही आपने
wahoo yaar superb...keep it up and up??? waise roothna manana hi to life hai.....kyon hai na...well aapka blog pada maza aa gaya achha likhti hai....likhte rahen swagat hai....mere blog par bhi kuch alag aapka swagat kar raha hai...padharen
ReplyDeleteJai ho mangalmay ho
एक के बाद एक सारी रचनाएँ मैंने पढ़ डाली.... बहुत खूबसूरत लिखती हैं आप.
ReplyDeleteरस्ता लम्बा होता है,
ReplyDeleteया बातें कम पड़ जाती हैं,
मै जितना बोला करती हूं,
तू उतना गुमसुम होता है..
ek bahut achhi rachna.....
mn ki thaah ko paa lene ki
kaamyaab koshish..........
---MUFLIS---
मैं अक्सर रूठा करती हूं,
ReplyDeleteतू अक्सर मनाया करता है,
दिल अक्सर टूटा करता है,
क्यू ये सब अक्सर होता है....किन शब्दों में आपकी प्रशंसा करूँ समझ में नहीं आता...बहुत ही गहरे भाव सरल शब्दों में ...मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
Thanks a lot for your comment.
ReplyDeleteI liked your blog very much.I appreciate for the beautiful poem written by you.You are welcome in my other blogs too.
मेरे इस घर में रहती है,
ReplyDeleteदोस्त मेरी इक तनहाई,
तुमभी रहा करते हो यहाँ,
जाने ये क्यूं कम लगता है..
achchha bayan hai.
very...nice to c ur blogs...ur really..sincere regarding blogs...plz come to my blogs..too
ReplyDeleteheart touching
ReplyDeleteitni khoobsurat kavita ki main padhkar kahin kho gaya.. itni acche shabdchitr ban padhe hai ki main kya kahun ..
ReplyDeleteisme prem hai viirah hai aur wo saare elements hai jo prem ko poornta dete hai ..
aapko meri dil se badhai ..
meri nayi kavita padhkar apna pyar aur aashirwad deve...to khushi hongi....
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
मै जितना बोला करती हूं,
ReplyDeleteतू उतना गुमसुम होता है..kitna sach kaha hai aapne..
मेरे पेज पर आपकी नयी पोस्ट की सूचना दो दिन पहले ही आ गयी थी किन्तु किन्ही कारणों से ये ओपन नहीं हो पा रही है और आपका ईमेल भी नहीं था फिर सोचा कि आपकी इस पुराणी पोस्ट पर टिप्पणी कर दूं .
ReplyDeleteरोज कुरेदती हूं इस दर्द को, डरती हूं भर न जाये ये नासूर कहीं, रोज मांगती हूं दुआ तेरे दीदार की, जबकि जानती हूँ तू इस जहाँ में मौजूद नही ... लोग कहते हैं , म...
2 days ago
बहुत खूबसूरती से आपने भावनावों को शब्दों में पिरोया है...मुझे आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया...मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
ReplyDeletepriyanka...na jane kyun apki nyee post nahi khul rahi...
ReplyDeleteजी लेने की ख्वाहिस ...........
ReplyDelete..................................जग उतना सूना लगता है !
जीने की इक तमन्ना
मरने का इक इरादा
रंगीन कितनी दुनिया
सूना सा कोई वादा .
( अगन तेरी , बस मेरा धुंआ )
eagerly
ReplyDeletewaiting for next post
---MUFLIS---
जी लेने की ख्वाहिश भी है,
ReplyDeleteजाँ देने का अरमा भी है,
जग जितना रंगी लगता है,
जग उतना सूना लगता है.
sach kaha hai aapne....
My vote for 3rd para...
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