
जिस एक पल के लिए, कबसे हम पलकें बिछाये बैठे थे,
वो पल एक पल के लिए आया, और बस चला गया,
जिस एक पल के लिए जाने क्या क्या खाब सजाये बैठे थे,
वो पल एक पल के लिए आया, और बस चला गया,
हो गए अरमान पूरे और कुछ बाकी भी रह गए,
ख़ुशी गम सबकुछ वो लाया और बस चला गया,
अब अगले पल का इंतजार है, जो रंग नए लाएगा,
उस गुजरे पल की तरह ,
जो कई रंगों में रंगा आया, और बस चला गया ...
पलों का इंतज़ार मत कीजे ,
ReplyDeleteउनकी मजबूरियां हैं आने की ,
क्यूँ वो बैठें बिछाए पलकों को ,
जिनकी फितरत है मुस्कुराने की .
har pal bas intjaar hi rahta he..
ReplyDeletebahut sundar rachna he..
kam shabdo me badi soch he..
kabhi mere blog par bhi aane kaa kasht kariye..aapki tippaniyo se taaki mujhe kuchh sikhne ko mile
aapaki kaamana poori ho bahut sunder racnaa hai
ReplyDeletePICHHALI RACHNAON KI TARAH.. YAH BHI BAHUT KHUBSURATA HAI...
ReplyDeleteIS CONSISTENCY KO BANAYE RAKHE.....