Thursday, March 5, 2009

जीवन के रंग ....












हर
सुबह लाती है,
हर एक के लिए नए रंग,
किसी के लिए ख़ुशी,
किसी के लिए गम,
किसी के लिए ज्यादा,
किसी के लिए कम,

किसी के लिए मझदार,
किसी के लिए किनारा,
किसी के लिए तन्हाई,
तो किसी के लिए सहारा,


किसी के लिए पतझड़,
किसी के लिए शावन,
किसी के लिए मौत,
और किसी के लिए जीवन,

किसी के लिए शोहरत,
किसी के लिए गुमनामी,
किसी के लिए जीत,
पर किसी के लिए नाकामी,

क्या ऐसी कोई सुबह नहीं,
जिसका एक ही रंग हो,
ख़ुशी, शावन, शोहरत, जीत,
हर एक के संग हो,

क्या ऐसी कोई सुबह नहीं,
जो माँ की थाली जैसी हो,
निकम्मा हो या कमाऊ,
दो-दो रोटी ही बटी हो....??

5 comments:

  1. Roti ke saath achaar milega kya

    how lame , i think i m the most lame and crude visitor on ur blog .......but jhelna to padega ..waise sach batana ki aap mujhe nahi janti hoti to is comment par kya response hota aapka :)

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  2. nice lines these... !!something to chew on... ! keep them coming :)

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  3. महिला दिवस पर युवा ब्लॉग पर प्रकाशित आलेख पढें और अपनी राय दें- "२१वी सदी में स्त्री समाज के बदलते सरोकार" ! महिला दिवस की शुभकामनाओं सहित...... !!

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  4. क्या ऐसी कोई सुबह नहीं,
    जिसका एक ही रंग हो,
    ख़ुशी, शावन, शोहरत, जीत,
    हर एक के संग हो,
    aapki ab tak ki sarvaadhik sashakt ,arth poorna evam bhaav poorna rachna.
    Or ye Word verification hata den to comment dena kuchh saral ho jayega.

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