क्या है तुम्हारे पास, और क्या है मेरे पास क्यों चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ, शायद इक ख़ुशी की ही तो तलाश है हम दोनों को जो मिलती है मुझे तुम्हारे पास, और शायद तुम्हे मेरे पास,
तुम्हारी खुशियों में हसती हू मै, हो जाते हो तुम मेरे गम में उदास,
जब कभी भी लगता है इस भीड़ में अकेली हूं, अपने कंधे पे महसूस कराती हू तुम्हारे हाथो का अहसास,
हाँ यही तो है तुम्हारे पास, हाँ यही तो है मेरे पास, जो चल रहे हैं हम, हर कदम सांथ सांथ .....
ढूढतीरहतीहू पर कुछभी नज़र आता नहीं, लगता है नाता है फिर लगता है कोई नाता नहीं, साथ देती है कभी धोखा भी देती है यही, ज़िन्दगी अपनी है, तू अपनी है या अपनी नहीं ......