Wednesday, January 21, 2009
मुलाक़ात ......
वही आखे वही चेहरा बातों में वही नशा है
फिरभी इस मुलाक़ात में आज कुछ नया है,
यु तो की हैं हमने कई मुलाकातें,
क्यों फ़िर इस मुलाकात में झिझक पहली बार सा है,
जो समझते थे कभी हर धड़कन मेरी,
आज पूछते हैं, हाल क्या है,
उनकी मुस्कुराहट ज़िन्दगी थी हमारी,
वो अब भी मुस्कुराते हैं, ये सोचकर हम जिंदा हैं,
कभी फुर्सत मिली तो पूछेंगे ज़िन्दगी से,
गर यही ज़िन्दगी है, तो मौत भला क्या है ...
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wah soniya ji wah!!!
ReplyDeleteज़िन्दगी क्या है जब सोचने लगता है ये जहाँ,
ReplyDeleteतो रूह पर छा जाते है दुःख की घटाए दर्द के तूफान,
रहा रहा कर दिल में ये ख्याल आता है की अगर ज़िन्दगी ये है तो मौत किसे कहते है ...
बहोत अच्छी लगी आपकी ये रचना
awesom!
ReplyDeletebahut hi sundar rachana hai apki..
aise hi likhte rahen
shubhkamnayen!
(bhukjonhi.blogspot.com)
कभी फुर्सत मिली तो पूछेंगे ज़िन्दगी से,
ReplyDeleteगर यही ज़िन्दगी है, तो मौत भला क्या है ...
कभी फुर्सत मिली तो पूछेंगे ज़िन्दगी से,
गर यही ज़िन्दगी है, तो मौत भला क्या है ... ...
kabhi humari mulaqat huyi zindagi se to hum bhi puchhenge....
oi ye sab kahan se mari ........sumit
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